बाबा हरिहर नाथ जी आरती
बाबा हरि हर महादेव ॐ हरि हर महादेव ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा
।।ॐ हरि हर महादेव..॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
।।ॐ हरि हर महादेव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
॥ ॐ हरि हर महादेव..॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी
॥ ॐ हरि हर महादेव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
॥ ॐ हरि हर महादेव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता
॥ ॐ हरि हर महादेव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका
॥ ॐ हरि हर महादेव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
॥ ॐ हरि हर महादेव..॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
॥ ॐ हरि हर महादेव..॥
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामअग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियं भक्तं वातंजातं नमामि।